Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

कामरूप की नगरी में कुछ दिन

पहाड़ शुरू से ही मुझे बहुत आकर्षित करते आये हैं। उनका वो रहस्यमय विराट आकार और घाटियों में छिपी प्राकृतिक विरासत बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है। पिछले दिनों दोस्तों के साथ बाहर जाने का कार्यक्रम बन गया तो इस बार देश के पूर्वोत्तर को खंगालने का मन बनाया। कामाख्या देवी के मन्दिर के बारे में बहुत सुना था तो इच्छा हुई कि हम भी दर्शन कर आयें।
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

 स्वाति गौड़
पहाड़ शुरू से ही मुझे बहुत आकर्षित करते आये हैं। उनका वो रहस्यमय विराट आकार और घाटियों में छिपी प्राकृतिक विरासत बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है। पिछले दिनों दोस्तों के साथ बाहर जाने का कार्यक्रम बन गया तो इस बार देश के पूर्वोत्तर को खंगालने का मन बनाया। कामाख्या देवी के मन्दिर के बारे में बहुत सुना था तो इच्छा हुई कि हम भी दर्शन कर आयें। बस, फिर क्या था! फ्लाइट की टिकट बुक कराई और सामान बांध कर निकल पड़े। गुवाहाटी असम के पूर्वोत्तर राज्यों की वाणिज्यिक राजधानी है।
असमिया में गुवा का अर्थ होता है अखरोट और हाटी का अर्थ बाजार। हिमालय पर्वतमाला के पूर्व में स्थित इस शहर को पूर्वोत्तर राज्यों का दरवाजा माना जाता है। गुवाहाटी  में गर्मियों में तापमान 22 से 39 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में 10 से 25 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। इसलिये इसकी जलवायु को सब ट्रॉपिकल कहते हैं। यह शहर एक तरफ ब्रह्मपुत्र नदी से घिरा है तो इसके बाकी किनारे हरियाली और पहाड़ों की चादरों से ढके हैं। हम अपने लिए होटल दिल्ली से ही बुक कराकर गये थे इसलिए परेशानी नहीं हुई और प्री बुकिंग पर बढ़िया छूट भी मिली। नई दिल्ली से गुवाहाटी लगभग 1825 किलोमीटर दूर है। रेल से पहुंचने में यहां तकरीबन 7-8 घंटे लगते हैं और प्लेन द्वारा जाने में लगभग तीन घंटे का समय लगता है। होटल पहुंचते ही हमने हाथ मुंह धोया और हल्का-फुल्का नाश्ता किया। हवाई यात्रा के बाद सफ़र की थकान ज्यादा नहीं थी, फिर भी बाहर जाने का मन नहीं था इसलिए पहले दिन हमने पास के बाज़ार में ही घूमने का मन बनाया।
प्राग ज्योतिषपुर था असम का नाम
प्राचीन इतिहास के अनुसार असम का नाम पहले प्राग ज्योतिषपुर था। कहा जाता है कि थाईलैंड की अहोम जाति ने इस पर अपना कब्ज़ा जमाया और राज किया, जिसके बाद इसे असम कहा जाने लगा। यही वजह है कि यहां आज भी थाई संस्कृति का प्रभाव देखने को मिलता है। यहां के बाज़ार में भी हमें कुछ ऐसी ही झलक देखने को मिली।
हमारा अगले दिन का प्लान पोबितरा वन्यजीव अभयारण्य घूमने का था, जो यहां से करीब 50 किलोमीटर दूर नौगांव और कामरूप जिले की सीमा पर स्थित है। यह जगह एक सींग वाले गैंडे के लिए प्रसिद्ध है।
वैसे तो आप इस जगह को पूरे दिन भी घूमें तो कम है, लेकिन अचानक बारिश हो जाने की वजह से हम लोग यहां से थोड़ा जल्दी निकल गए थे।
मां कामाख्या का मंदिर
इसके बाद हमने कामाख्या देवी मंदिर जाने का मन बनाया। शक्ति की देवी मां सती का यह मंदिर नीलाचल पर्वत पर स्थित है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है, जिससे ढेरों तांत्रिक महत्व जुड़े हैं। नीलाचल पहाड़ी पर बसे कामाख्या देवी के मंदिर को 10वीं शताब्दी में बनाया गया। यह मंदिर रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर से थोड़ा आगे देवी भुवनेश्वरी का मंदिर है। यह एक ऊंची पहाड़ी पर है और यहां से सारे गुवाहाटी का नज़ारा देखा जा सकता है। यहां आकर हुआ अध्यात्मिक अहसास आपको लम्बे समय तक बांधे रखता है, इसलिए वापस लौटने के बाद भी यह मंदिर दिल में बसा रहता है। अगर आप थोड़ा और अध्यात्मिक सुकून पाना चाहते हैं तो सुकेश्वर मंदिर का रुख कीजिये, जो यहां सबसे ज्यादा घूमे जाने वाले मंदिरों में से एक है। इसे 1744 में अहोम राजा प्रामत्ता सिंह ने बनवाया था। इसके अलावा ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे सरियाघाट पुल का विहंगम नज़ारा देख सकते हैं।
खास है प्लेनेटोरियम
आप असम स्टेट म्यूजियम और गुवाहाटी तारामंडल भी ज़रूर देखें। अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने और इसे समझने वालों के लिये गुवाहाटी प्लेनेटोरियम बेहद खास है। इसे देश के बेहतरीन प्लेनेटोरियम में गिना जाता है। गुवाहाटी शहर से थोड़ी दूरी पर  भी कई चीजें दर्शनीय है।
शिव को समर्पित है उमानंद मंदिर
भगवान शिव को समर्पित उमानंद मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के एक द्वीप पर स्थित है। पूर्वी गुवाहाटी में नौ ग्रहों को समर्पित नवग्रह मंदिर है जहां एस्ट्रोनोमी और एस्ट्रोलॉजी का संगम दिखता है। इसके पास वशिष्ठ मंदिर बना है। उग्रतारा मंदिर भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। खासकर सोने की मूर्तियों और भैंसों की बलि के कारण इस मंदिर की प्रसिद्धि है।
अगर आपके पास भरपूर समय है तो गुवाहाटी से 180 किलोमीटर दूर तेजपुर ज़रूर जाएं, जो सोनितपुर जिले में स्थित है। यह जगह असम के बेहद खूबसूरत स्थानों में से एक है। यहां स्थित अग्निगढ़ किले का अपना आकर्षण है।
कब जाएं घूमने
वैसे तो गुवाहाटी किसी भी सीजन में जा सकते हैं लेकिन अगर अप्रैल के बाद जाएं तो छाता लेकर जाना न भूलें। अप्रैल में यहां बीहू मनाया जाता है, जिसमें राज्य की संस्कृति और कला की झलक देखने को मिलती है। जून जुलाई में यहां कामाख्या देवी मंदिर में अबूबाशी मेला भी मनाया जाता है, जिसे देखने देश-विदेश से लोग आते हैं। अगर आप भी गुवाहाटी जाने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो आने वाले महीनों के हिसाब से अपनी यात्रा की तैयारी कर लें। यहां मेघ जमकर बरसते हैं, ऐसे में प्रकृति की छठा का तो कहना ही क्या।
यहां पूरे साल तापमान लगभग गर्म और ठंडा होता रहता है लेकिन बारिश कभी भी हो जाती है इसलिए छतरी या रेनकोट के साथ कुछ और चीजें भी साथ ले लें।  गर्मियों में हल्के कपड़ों से काम चल जाएगा लेकिन अगर अक्टूबर के आस-पास जा रहें हैं तो रात के लिए गर्म कपड़े जरूर लेकर जाएं। वैसे नवम्बर से फरवरी के बीच का समय घूमने के लिहाज से ज्यादा बढि़या है क्योंकि इन महीनों में बारिश होने का अंदेशा जरा कम ही होता है। दिल्ली और गुवाहाटी के बीच नियमित प्लाइट्स से आ-जा सकते हैं। अगर कोलकाता की तरफ से आना चाहें तो भी यहां पहुंचा जा सकता है। अगर रेलमार्ग से आ रहे हैं तो चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि यह शहर तमाम जगह से रेल नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। वैसे गुवाहाटी एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है इसलिए आप जैसे चाहें यहां तक पहुंच सकते हैं। ये बात मानकर चलिए कि अगर आप गुवाहाटी आ रहे हैं तो ज़रा फुरसत में आइये, क्योंकि यहां एक जगह घूमने के बाद दूसरी जगह को देखे बिना दिल को काबू में रखना मुश्किल है।

Advertisement
Advertisement
×